देश ही नहीं पूरी दुनिया को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले रखा है। ऐसे में देश में कोरोना को लेकर ऐसी बात सामने आयी है जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाएगा।आपसब जानते हैं कि कोरोना वायरस की शुरुवात चीन के एक शहर वुहान से हुई थी. इसी को लेकर सारे देश चीन से अपने रिश्तें नाते तोड़ रहे हैं. इस बात को लेकर एक और खुलासा हुआ हैं जिससे शक और यकीन में बदलता जा रहा हैं.

हॉन्ग कॉन्ग की स्टडी में वुहान में विश्व स्वास्थ्य संगठन मिशन की ओर से जारी किए 20 फरवरी तक के डेटा को शामिल किया गया. स्टडी में अनुमान लगाया कि चीन की सरकार के शुरुआती चार बदलावों की वजह से कोरोना संक्रमण के डिटेक्टेड मामलों और आधिकारिक आंकड़ों का फासला 2.8 से 7.1 गुना तक बढ़ गया. स्टडी में कहा गया कि चीन की सरकार ने कोरोना संक्रमण केस के लिए जो पांचवीं परिभाषा दी, अगर वह शुरू से लागू की जाती तो हमारा अनुमान है कि 20 फरवरी तक वहां 2,32,000 केस होते. जो चीन के 55,508 के आंकड़े से करीब चार गुना ज्यादा होता. अब चीन में हल्के लक्षण वाले संक्रमण के मामलों की भी गिनती की जा रही है जबकि पहले ऐसा नहीं था.

भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आए हैं. इसी महीने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन में कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक-तिहाई लोगों में या तो देरी से लक्षण दिखाए दिए या फिर लक्षण दिखाई ही नहीं दिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बिना लक्षण वाले मामले ही ज्यादा हैं. चीन के आंकड़ों पर हमेशा से ही दुनिया को शक रहा है. बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नए कोरोना वायरस की महामारी के बारे में वक्त पर सूचना देने में असफल रही. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय जांच की भी मांग की है.