आपको तो पता ही हैं कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण सारे खेलों को रद्द कर दिया गया हैं. भारत का घरेलु सीरिज आईपीएल को भी अभी रोक दिया गया हैं. सुनने में आया था की लॉकडाउन के बाद कुछ नियम के तहत मैच शुरू किया जा सकता हैं. लेकिन अब इस पर ना के बराबर बात आगे बढ़ रही हैं. लेकिन आज हम आपको जिस बात के बारे में बताने वाले हैं वो क्रिकेट के गेंद से जुड़े हैं. आइये आपको बताते हैं इसके बारे में.

आईसीसी के बॉल टैंपरिंग नियम के मुताबिक अगर कोई खिलाड़ी गेंद के साथ छेड़छाड़ करता है और उसकी स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश करता है तो उसे ही बॉल टैंपरिंग कहा जाता है। आईसीसी के 42.3 नियम के तहत अगर कोई खिलाड़ी गेंद में चमक लाने के लिए के लिए उसमे कोई कृतिम पदार्थ का यूज करता है तो वह बॉल टैंपरिंग है। जैसे कोई खिलाड़ी च्यूंगम खा रहा है और उसका इस्तमाल बॉल पर कर रहा है तो यह बॉल टैंपरिंग है। खिलाड़ी अगर गेंद पर वैसलीन या सनस्क्रीन लगा रहा है, तो वह भी बॉल टैंपरिंग हैष अगर कोई खिलाड़ी मिट्टी में बॉल को रगड़ रहा है, तो उसे भी गेंद से छेड़खानी ही माना जाता है।

क्या क्रिकेट में ‘बॉल टैंपरिंग’ को एक अलग तरीके से वैध बनाया जाएगा? सुनकर चौंकिए मत, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते एक खास तरीके से गेंद को कृत्रिम चीज के जरिए चमकाने की इजाजत देने पर विचार किया जा सकता है। जैसा कि क्रिकेट प्रशसंकों को पता है, इस खेल में बॉल को चमकाने के लिए खिलाड़ी अपनी लार या थूक का इस्तेमाल करते हैं और क्रिकेट के खेल में यह एक आम चलन रहा है, लेकिन मौजूदा समय में जो महामारी फैली है उसके कारण क्रिकेटरों को इससे सावधान होना होगा, लेकिन बॉलर्स के सामने अब समस्या यह है कि इसके बिना गेंद स्विंग कराने का काम उनके लिए अब मुश्किल हो जाएगा।