जैसा की आप सब जानते ही हैं, कि शादियों का सीजन शुरू हो गया हैं । शादी के वक़्त लोग अपनी तरफ पूरे पूरे और एक से बढ़कर एक इंतज़ाम करवाते हैं शादी के खाने वगरह से शादी के निमंत्रण कार्ड तक । ऐसा कहा जाता हैं की शादी का पहला निमंत्रण गणपति जी को दिया जाता हैं। तो लोग शादी के निमंत्रण कार्ड को भी कई अलग अलग तरीके से बनवाते हैं , कोई अन्रेज़ी में तो कोई हिंदी में , तो वही दूसरी तरफ आजकल लोग शादी के कार्ड लाखों की कीमत में बनवाते हैं । आज हम एक ऐसे परिवार के बारे में बात करने जा रहे जिन्होंने शादी के कार्ड को लेकर बढ़िया मिसाल कायम की हैं ।

दरअसल राजस्थान के बावड़ी कला गांव के राजपुरोहित परिवार ने शादी में छपने वाले निमंत्रण कार्ड को लेकर एक बेहतरीन मिसाल कायम की हैं, उन्होंने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार के करने के लिए और आम लोगों को संस्कृति से जोड़ने के लिए ये एक अनूठी पहल की हैं ।

बावड़ी कला निवासी उम्मेद सिंह के सुपुत्र किशन सिंह राजपुरोहित का विवाह 22 नवंबर 2019 को है किशन वर्तमान में रामदेवरा में लेक्चरर है और दिल्ली विश्वविद्यालय से संस्कृत में एएम. नेट जेआरफ व एमफिल है , तो वही उनके भाई व्यवसायी भंवर सिंह व संस्कृत में लेक्चरर सवाई सिंह राजपुरोहित संस्कृत के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं, उन्होंने संस्कृत भाषा को लोगों के दैनिक जीवन में उपयोग में लाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विवाह के निमंत्रण पत्र को संस्कृत भाषा में छपवाया है, निमंत्रण पत्र में विवाह संबंधित कार्यक्रम के लिए विनायक पूजा बंदोली वर यात्रा प्रस्थांनम आदि शब्दों का भी प्रयोग किया है।