देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. लेकिन अचनाक से जामाती सैकड़ों की संख्या में निकल कर आये और कोरोना जैसे महामारी को बढ़ावा देने लगे. उनलोगों में से बहुत से लोग ऐसे थे जो कोरोना वायरस के शिकार थे. वो शिकार व्यक्ति दुसरे के संपर्क में आये और फैलाते गये इस वायरस को. उसके बाद उन्हें ठीक करने वालें डॉक्टर और नर्सों के साथ भी बदसलूकी करने लगे. लेकिन अब वो अपनी जान बचाने के लिए नया हथकंडा अपनाए हैं. आइये आपको बताते हैं आखिर अब उनलोगों ने क्या नया शुरू किया हैं.

शुरुआत में इस बात की शिकायत मिली की ये लोग इलाज में न तो डॉक्टरों का सहयोग कर रहे हैं बल्कि इन्होंने हेल्थ स्टाफ के साथ बदसलूकी भी की. कथित रूप से जमातियों ने डॉक्टरों पर थूका भी था. जब इन लोगों की स्थिति बिगड़ने लगी तो कोरोना से संक्रमित तीनों, मेडिकल स्टाफ के सामने बिलख-बिलखकर रोने लगे। इन लोगों ने हेल्थ वर्कर्स के सामने गिड़गिड़ाकर जान बचाने का आग्रह किया.

इस मामले में लाला लाजपत राय अस्पताल की प्रधानाचार्य आरती लालचंदानी से बात की। वह कहती हैं, ‘अब अस्पताल में भर्ती संक्रमित जमातियों अपनी भूल का एहसास हो गया है। संक्रमण फैलाने के लिए वह तरह-तरह के तरीके अपना रहे थे जबकि विश्व में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही थी। उनके बर्ताव में अब बदलाव आया है। जमाती अब यह स्वीकार कर रहे हैं कि वे दवाइयां खाएंगे क्योंकि यह उनके भले के लिए ही है.’