दोस्तों, अक्सर हम लोगों ने रास्तों में छोटे बच्चों को भींख मांगते हुए देखते हैं. लेकिन हम में से कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आते हैं. काफी लोगों को ये सब देखकर निराशा भी होती हैं पर वो कुछ कर नही पाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है इस दुनिया में जो ऐसे हालातों को बदलने के लिए एक प्रयास करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही हीरो के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने इन गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलकर एक मिसाल पेश की हैं.

दरअसल धर्मवीर जाखड़ नाम के शख्स ने जो कि पुलिस में काम करते हैं , उन्होंने ‘अपनी पाठशाला’ नाम से एक स्कूल खोला हैं. आज उनके इस स्कूल में लगभग 450 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं.
शुरुआत में खुद ही पढ़ाया
शुरुआत में धर्मवीर खुद बच्चों को 1 घंटे पढ़ाया करते थे. और धीरे -धीरे कर के ये बढ़ता रहा और इसने एक स्कूल का रूप ले लिया. इस स्कूल में पढ़ने वाले 200 बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवाया गया। जिसमे से 90 बच्चे छठवीं से 8वीं क्लास में पढ़ते हैं।

1.5 लाख रुपए का महिना खर्चा
इस स्कूल को चलाने के लिए हर महीने 1.5 लाख रुपए का खर्च आता हैं ।स्कूल चलाने के लिए इस रकम का इंतज़ाम लोगों के दान और सोशल मीडिया कैंपेन से पूरा होती हैं । लेकिन जाखड़ चाहते हैं कि सरकार भी इसमें उनकी मदद के लिए आगे आए.
ड्रेस, किताबें और जूते भी कराते हैं उपलब्ध
स्कूल के पास अपनी एक वैन है, जो इन बच्चों को उनके घर से या झुग्गी से यंहा स्कूल लाती हैं । इसके अलावा बच्चों को स्कूल ड्रेस, जूते, भोजन और किताबें भी दी जाती हैं। लेकिन क्या आप लोग जानते हैं ये सब मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता हैं. इस इलाके के ही समाजसेवी लोग और संस्थाएं जाखड़ की मदद करती हैं। इसी के साथ ही बच्चों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था की जाती हैं ।

कुछ बच्चों को दे रखी है छूट
धर्मवीर ने बताया कि यूपी और बिहार से कई लोग यहां काम की तालाश में आते हैं। हमने उनके बच्चों को स्कूल आने के लिए भी प्रेरित किया हैं । कुछ बच्चों को कचरा बीनने की छूट दी गई है, उसकी ये वजह हैं कि उनके मां-बाप उन्हें स्कूल आने नहीं देंगे।इसिलए वो स्कूल के बाद ये काम भी करते हैं.