कोरोना की वजह से शिवराज कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है। लेकिन दावेदारों की संख्या इतनी है कि विस्तार के बाद असंतोष बढ़ने की संभावना दिख रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन जगहों पर है, जहां से सिंधिया गुट के लोग आते हैं। वहां से बीजेपी नेताओं की भी दावेदारी मंत्रिमंडल के लिए है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके समर्थक 22 पूर्व विधायकों ने भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। 22 में से 6 लोग तत्कालीन कमलनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। इनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई। शिवराज सिंह ने खुद शपथ ले लिया है, लेकिन कोरोना की वजह से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद शिवराज कैबिनेट का गठन होगा। मगर कैबिनेट गठन में शिवराज के सामने सिंधिया गुट के लोगों को एडजस्ट करने की मुश्किल है.

मुश्किल ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कांग्रेस छोड़ने वाले ज्यातर लोग ग्वालियर चंबल संभाग के हैं। 22 में से 9 लोग मंत्री पद के दावेदार हैं। उस इलाके से बीजेपी के भी कई बड़े नेता आते हैं। ऑपरेशन लोट्स को अंजाम तक पहुंचाने में उसी संभाग के दो नेताओं की भूमिका बड़ी रही है। साथ ही दूसरे अन्य भी दावेदार हैं जो शिवराज कैबिनेट में जगह चाहते हैं। अब शिवराज सिंह के सामने चुनौती ये है कि अगर एक ही इलाके से बड़ी संख्या में लोगों को मंत्रिमंडल में जगह देते हैं तो आगे चलकर नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी।