कई बड़े प्रोफेशनल की तरफ से शुरू किया गया यस बैंक अब संकट में फंस गया है. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने इसके बोर्ड का संचालन ले लिया है. अब इससे महीने में 50 हजार रुपये तक की ही सीमा तय कर दी है. साथ ही सरकार ने बैंक को संकट से दूर करने के लिए कवायद भी शुरू कर दी है. लेकिन ख़बर ये आ रही हैं की एक और बैंक पर संकट बादल छा रहे हैं. आइये आपको बताते हैं उस बैंक का नाम और जानते हैं क्या सही हैं और क्या गलत हैं?

पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक और यस बैंक के डूबने के कगार पर पहुंचने के बाद कर्नाटक बैंक के ग्राहकों की चिंता बढ़ गई है। कर्नाटक बैंक ने जमाकर्ताओं को उनके पैसे की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करते हुए बुधवार को कहा कि उसका आधार मजबूत है और उसके पास जरूरत के लिए पूंजी पर्याप्त मात्रा में है। बैंक ने कहा कि जमाकर्ताओं को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी महाबलेश्वर एम.एस. ने एक बयान में कहा, ‘हम बैंक की आंतरिक नीति के तहत संपत्तियों पर भारित जोखिम के लिए पूंजी पर्याप्तता अनुपात रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर बनाए हुए हैं। ऑडिट की गई बैलेंस शीट के हिसाब से 31 मार्च 2019 को यह अनुपात 13.17 प्रतिशत था.’

महाबलेश्वर ने ग्राहकों से कहा कि वे टेलीविजन या सोशल मीडिया पर बैंक के बारे में आ रही भ्रामक खबरों से भ्रमित न हों। कर्नाटक बैंक से पहले आरबीएल बैंक और करुर वैश्य बैंक ने भी इसी तरह का बयान जारी कर ग्राहकों को आश्वस्त करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, ‘बैंक 96 साल से अधिक समय से परिचालन में है और यह देश भर के 1.1 करोड़ से अधिक संतुष्ट ग्राहकों के भरोसे पर निर्मित है। बैंक की बुनियाद मजबूत है, बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है और बैंक का प्रबंधन पेशेवर तरीके से किया जा रहा है.’