
शा’स्त्रों की बा’त, जानें ध’र्म के साथ
कुछ जग’हों पर 30 को तो कुछ जग’हों पर 31 अक्टू’बर को श’रद पूर्णि’मा का पर्व मनाया गया। सना’तन धर्म की मान्य’ताओं के अनु’सार आ’श्विन मास की पूर्णि’मा के के बाद का’र्तिक मास प्रा’रंभ हो जाता है। जिस’का सना’तन धर्म में अ’धिक मह’त्व है। धार्मि’क मान्य’ताओं के अनु’सार ये पूरा मास भग’वान विष्णु तथा उनके दामो’दर रू’प की पू’जा के लिए विशे’ष माना जाता है। इस मास में दान-पु’ण्य का खास मह’त्व है। पंचांग के अनु’सार कार्ति’क मास का प्रारं’भ हो चुका है, इस पूरे माह का एक एक दि’न अपने आप में विशे’ष होता है। ऐसे में व्य’क्ति के लिए ये जा’नना अधिक आव’श्यक है कि सप्ता’ह के अनु’सार इस दिन कैसे पू’जा करनी चाहिए। बता दें आज हम आप’को इसी बारे में ब’ताने जा रहे हैं, कि दिन के अनु’सार जा’तक को कौ’न सा व्रत करना चा’हिए, कैसे पूजा पाठ करनी चाहिए, तथा इस’से क्या लाभ प्रा’प्त होता है।
लेकि’न इससे पहले आप’को बता दें कि सना’तन ध’र्म में व्रत और दान आदि का कितना मह’त्व है, इस बात से कोई सना’तनी अंजान नहीं होगा। व्रत आ’दि को लेक’र हर किसी की अपनी धा’रणा है, इस’लिए लोग अपनी वि’भिन्न तरह की इच्छा’ओं की पू’र्ति के अनु’सार व्रत रखते हैं, कुछ आ’स्था के चल’ते व्रत करते हैं, तो वहीं कुछ लोग बेह’तर स्वा’स्थ्य के लिए, तो बहुत से लोग मान’सिक शां’ति तथा अपनी मनोका’मना की पू’र्ति के लिए व्र’त रखते हैं। अगर शा’स्त्रों की मानें तो सही माय’ने में व्र’त न सिर्फ अपने आरा’ध्य को प्रस’न्न करके दैवि’क लाभ पाने के लिए किया जाता है ब’ल्कि यह तन-मन की शां’ति और सु’ख का का’रक होता है, जो यह ई’श्वर के प्रति की जाने वाली भक्ति का प्र’तीक होता है।
तो आ’इए जानते हैं कि सप्ता’ह के सात दिनों में किए जाने वाले कि’स व्रत के दान और मंत्र से दै’वीय कृपा शीघ्र प्रा’प्त होती है-
रवि’वार का व्रत-
कहा जाता है रवि’वार का दिन भग’वान सूर्य देव को सम’र्पित होता है, जो भी जा’तक इस दिन व्रत क’रता है उसके जी’वन में से रोग, शो’क और श’त्रु का ना’श हो जाता है। साथ ही साथ सुख-समृ’द्धि की प्रा’प्ति होती है। ज्यो’तिष और धा’र्मिक शा’स्त्रों में बता’या जा’ता है कि इस दिन व्रत करने वाले को सू’र्य देव मूल मंत्र ‘ओम घृ’णि सू’र्याय नम:’ का जाप कर’ना चाहिए, इससे सम’स्त प्रकार की मनो’काम’नाएं पूरी होती से हैं।

सोमवार का व्रत-
सोम’वार का दिन भग’वान शं’कर के साथ-साथ उ’नके म’स्तर पर विरा’जमान चंद्र’देव को भी सम’र्पित हैं। इस’लिए इस दिन इनकेे लिए भी व्र’त आदि भी किया जाता है। जिससे जी’वन में व्या’पार में लाभ, आ’र्थिक ला’भ तथा खास’तौर परल दांप’त्य जीव’न में खुश’हाली बढ़ती है। इस दिन चंद्र’देव के ‘ॐ चं चंद्र’मसे नम:’ का जाप करने लाभदा’यक माना जाता है।
मंगलवार का व्रत-
मंग’लवार का दिन ग्र’हों में स’बसे क्रूर ग्रह कहे जाने वाले मंग’ल ग्रह के रा’जा मंग’ल देव का भी माना जाता है। कहा जाता है इनका व्र’त से भू’मि-भवन से जुड़ा सुख मिलता है। साथ ही साथ इनके व्रत के प्रभा’व से जातक को शत्रु’ओं पर वि’जय, पुत्र की प्रा’प्ति तथा वाहन सुख की प्रा’प्ति होती है। इन्हें प्र’सन्न करने के लिए जा’तक के लिए ‘ॐ अंगार’काय नम: ‘ मंत्र का अच्छा सा’बित होता है।