आख़िर आज वो दिन आ ही गया जब नि’र्भ’या की माँ का सब्र का बाँध टूट गया। नि’र्भया और उसकी बे’बस माँ को आज इंसाफ़ मिल ही गया। नि’र्भ’या के छह दो’षियों में से एक ने तो पहले ही आ’त्म’ह’त्या कर ली थी और दूसरा जिसने सबसे ज्यादा ब’र्बर’ता की थी, वो नाबा’लि’ग़ होने की वजह से सबसे कम स’जा पाकर छूट गया। बचे चार दो’षि’यों को भी आज फ़ां’सी हो गयी, जिसका नि’र्भया की माँ और देश के लोग कितने सा’लों से इंतज़ार कर रहे थे।

आज यानी की 20 मार्च 2020 को नि’र्भ’या के चारों दो’षियों को सुबह 5:30 बजे फ़ां’सी पर लट’का दिया गया। फ़ां’सी की स’ज़ा टालने के लिए दो’षियों से कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन सच मानो तो भगवान भी नहीं चाहता कि ये रहें।
फ़ां’सी देने से पहले क़ै’दी के साथ ये सब होता है –
फां’सी देने से पहले कै’दी को नहलाया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं. जिसके बाद उसे फां’सी के फं’दे के पास तक लाया जाता है. बता दें, फां’सी के फं’दे पर लट’काने से पहले इंसान की आ’खिरी इच्छा पूछी जाती है. जिसमें परिवार वालों से मिलना, अच्छा खाना या अन्य इच्छाएं शामिल होती हैं.
आख़िरी वक़्त ज’ल्लाद क़ै’दी के कान में क्या बोलता है –
फ़ां’सी देने से ठीक पहले ज’ल्लाद क़ै’दी के कान में कहता है कि हिंदुओं को राम राम और मुस्लिमों को सलाम. मैं अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं. मैं आपके सत्य की राह पे चलने की कामना करता हूं. इसके बाद जल्ला’द चबूतरे पर लगे
लिवर को नीचे कर देता है।