मध्यप्रदेश उपचुनाव में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन करने के बाद यह तय माना जा रहा था, कि सं’भावि’त स्थिति ज्यो’तिरादि’त्य सिं’धिया के कद को बढ़ाने वाली होगी, और वैसा ही कुछ नजर भी आने लगा है। इस जीत के बाद अब ज्यो’तिरा’दित्य सिंधिया एक बार फिर न केवल कॉ’न्फीडें’ट हुए हैं बल्कि उन्हें लेकर यह संदे’श भी गया है, कि उनके द’लब’द’ल पर प्रदेश की जन’ता ने मो’हर लगा दी है। सिं’धिया के इस कॉ’न्फी’डें’ट ने बी’जेपी के सा’मने उनकी डि’मांड भी बढ़ा दी है, और वह अपने स’मर्थ’कों के लिए शि’वरा’ज स’रका’र और पा’र्टी सं’गठ’न के सा’मने नई मांग रख रहे हैं, जिसने उनके खे’मे के ने’ताओं को अधिक से अधिक त’वज्जो देने की बात कही जा रही है।
तीन नए मंत्री बनाने की मांग
दरअसल इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तीन मंत्री चुनाव हार गए थे, जिसमें ऐंदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी शामिल हैं। इनकी हार के बाद सिंधिया ने बीजेपी नेतृत्व के सामने यह मांग रखी है, कि वह या तो निगम मंडलों के जरिए इन तीनों चेहरों को अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार का हिस्सा बनाएं, नहीं तो इसकी एवज में किन्हीं तीन अन्य वि’धा’यकों को कै’बिनेट में जगह दी जाए, माना जा रहा है, कि बी’जेपी सिं’धिया की पहली मांग से सहमत नजर आ रही है और हारे हुए तीन मंत्रियों में से किसी दो को निगम मंडल में जगह दी जा सकती है।
संगठन में भी त’रजी’ह चाहिए
शुरूआत से लेकर अब तक सिर्फ कांग्रेस खेमे से इस्तीफे देने वाले विधायकों का जि’क्र किया जा रहा है, जबकि इनके अलावा हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं ने भी सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामा था। अब उन सभी नेताओं को सम्मान दिलाना भी सिंधिया की प्राथमिकताओं में से एक है। माना जा रहा है, कि सिंधिया संगठन मंत्री, उपाध्यक्ष, अलग अलग मोर्चे और संगठनों में अपने समर्थकों की एंट्री के प्रयास में जुट गए हैं। इस दौ’रान खा’सक’र उन नेता’ओं को प्र’मुख त’रजीह दी जा सकती है, जिन्हों’ने उ’प’चुना’व में बेहतर प’रफॉर्मेंस किया है।
स’कारा’त्म’क सं’देश देने की को’शिश
बीजेपी नहीं चाहती, कि सिंधिया खेमे को ए’डज’स्ट करने के च’क्कर में कहीं भी ये संदे’श नहीं जाए, कि पार्टी किसी भी तरह की दुवि’धा से जूझ रही है। इसलिए वह अपने पुराने नेताओं के साध सिंधिया समर्थकों को भी बड़ी सफाई के साथ एडजस्ट करने में जुटी हुई है। चूंकी आने वाले समय में फिर से उसे नगरीय निकाय के चुनावी मैदान में उतरना है, ऐसे में किसी नेता को नाराज करना भी उसके लिए भारी पड़ सकता है इसलिए हर किसी को उपकृत करने के लिए वह अलग अलग परिषद और समितियों में एडजस्ट करने पर भी विचार कर रही है।