दोस्तों किन्नरों की दुनिया बेहद रहस्यमयी होती है, किन्नरों से जुड़े कुछ रहस्य कभी दुनिया के सामने ही नहीं आते हैं.. वो अपने रहस्यों से खुद कभी पर्दा नहीं उठाते हैं.. वो ऐसा क्यों करते हैं ये आजतक किसी को नहीं पता.. ऐसा ही एक रहस्य है किन्नरों की शादी.. जी हाँ दोस्तों किन्नर शादी भी करते हैं.. ये आजतक बहुत कम लोगों को पता है.. लेकिन क्या आपको पता है कि किन्नर सिर्फ एक रात के लिए शादी भी करते हैं.. चौंक गये ना आप.. चलिए आज हम आपको बताएँगे कि वो आखिर ऐसा किस वजह से करते हैं.. और आखिर किससे होती है उनकी शादी..

दोस्तों किन्नर के बारे में आप सभी लोगों को कुछ बातें जरूर पता होंगी.. ये न तो महिला होते हैं और ना ही पुरुष.. हमारे समाज में किन्नरों को समाज से अलग करके रखा जाता है और इनको अलग नजर से देखा जाता है.. ये वो वजह है जिससे इनका अपना खुद का एक अलग ही समाज बना होता हैं…
किससे करते हैं किन्नर शादी और क्यों ?
दोस्तों किन्नर जब शादी करते हैं तो सिर्फ एक रात के लिए ही करते हैं.. और वो अपने देवता से ही शादी करते हैं.. जो सिर्फ एक रात तक कायम रहती है.. दोस्तों किन्नरों के इस देवता का नाम है ‘इरावन’ जो कि अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की ही संतान है…लेकिन किन्नर ऐसा क्यूँ करते हैं ये भी एक राज है.. तो दोस्तों चलिए जानते हैं आखिर किन्नर एक दिन के लिए ही अपने भगवान से शादी क्यों रचाते हैं।
दोस्तों धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध से ठीक पहले ही पांडवों ने जाकर मां काली की पूजा की थी और उस पूजा में एक राजकुमार की बलि दी जानी थी…लेकिन जब बलि की बात आगे आई तो एक भी राजकुमार आगे आने को तैयार नहीं हुआ.. ये देखकर अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा कि वह खुद इस युद्ध से पहले माँ काली को दी जाने वाली बलि के लिए तैयार है.. दोस्तों लेकिन इरावन ने अपनी बलि से पहले एक अजीब से शर्त रखी कि वो बिना शादी किए बलि पर नहीं चढ़ेगा..

अब वहां मौजूद पांडवों के समक्ष ये समस्या खड़ी हो गई कि आखिर वो कौनसी राजकुमारी होगी जो इरावन से सिर्फ एक रात के लिए विवाह करने को तैयार होगी… क्यूंकि ये तो स्पष्ट था कि अगले दिन बलि के बाद वो विधवा हो जाएगी.. और विधवा होकर उसे पूरा जीवन व्यतीत करना होगा..

दोस्तों उस वक्त पांडवों की हर समस्या में भगवान् श्रीकृष्ण काम आते थे.. ऐसे में इस समस्या का भी समाधान स्वयं श्री कृष्ण ने ही निकाला.. जब इन सब बातों को उन्हें बताया गया तो उन्होंने स्वयं मोहिनी का रूप धारण किया और चले आये पांडवों की नगरी में.. बलखाते कदमों के साथ वो चलते तो लोगों के मन डोल जाते.. मोहिनी रूप में भगवान् श्रीकृष्ण ने इरावन से विवाह रचाया.. और इसके अगले ही दिन प्रातःकाल अर्जुन पुत्र इरावन की बलि दे दी गई… उसकी बलि के बाद खुद श्री कृष्ण ने विधवा बनकर उसके मृत शारीर के ऊपर घोर विलाप किया…दोस्तों उसी घटना को याद करते हुए किन्नर आज भी इरावन को भगवान् मानते हैं और एक रात के लिए इरावन से विवाह करते हैं..