देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं हर दिन कोई न कोई बुरी ख़बर सामने आ रही है। औरंगाबाद ट्रेन हादसे से सबको हिलाकर रख दिया। सरकार हादसे की जाँच में जुटी है। वहीं हादसे के चश्मदीद गवाह सामने आया जिसे उस हादसे की आँखो देखी कहानी बताई। उस सुबह क्या हुआ था? आइए जानते हैं।

सरकार स्पेशल ट्रेन चलाकर मजदूरों को उनके राज्य पहुंचा रही थी इसके बावजूद भी लोग पैदल जा रहे हैं या साइकिल से जा रहे हैं. कुछ मज़दूर महाराष्ट्र के जालना से रेल पटरी के रास्ते पैदल मध्यप्रदेश में अपने गांव जा रहे थे। जिनके साथ ये बड़ा हादसा हुआ।
औरंगाबाद जिले में हुई ट्रेन दुर्घटना में बाल-बाल जीवित बचे श्रमिकों का कहना है कि उन्होंने पटरियों पर सो रहे अपने साथियों को तेजी से आती ट्रेन से बचने के लिए आवाज दी थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

अधिकारियों ने बताया कि 20 मजदूरों का एक समूह महाराष्ट्र के जालना से पैदल मध्यप्रदेश में अपने गांव जा रहा था। ये सभी जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद लौट रहे थे।
पुलिस अधीक्षक मोक्षदा पाटिल ने बताया, ‘लॉकडाउन के कारण फंसे हुए 20 श्रमिकों का एक समूह जालना से पैदल जा रहा था। थकान के कारण उन्होंने आराम करने की सोची और उनमें से ज्यादातर पटरियों पर लेट गए। उनमें से तीन पास स्थित खाली जगह में बैठ गए।’ उन्होंने कहा कि कुछ देर बाद इन तीनों ने मालगाड़ी को आते देखा और तुरंत चिल्ला कर सभी को आगाह किया, लेकिन वे सुन नहीं सके।
पाटिल ने कहा, ‘मैंने जीवित बचे लोगों से बातचीत की है। वे लोग जालना से पैदल चले थे और भुसावल जा रहे थे। भुसावल दुर्घटना वाली जगह औरंगाबाद के पास करमंड से करीब 30-40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।’

जो लोग सुरक्षित बचे हैं उनकी पहचान मांडला निवासी 20 वर्षीय इंदरलाल ध्रुवे, उमरिया निवासी 27 वर्षीय विरेंद्र सिंह गौर और शहडोल निवासी 27 वर्षीय शिवम सिंह गौर के रूप में हुई है। वहीं खजेरी निवासी सज्जन सिंह दुर्घटना में घायल हुआ है।